Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता शिकार ना बनाएं

शिकार ना बनाएं
नजरों के तीर चलाकर,
घायल तुम किए जाते हो।
शिकार अपना हमें बनाकर ,
मुस्कुरा कर किधर जाते हो।
कातिल के मुस्कुराने की अदा तो देखो,
दिल पर खंजर चलाए जाते हैं।
शिकार हमारा करके नजर से,
दिल धड़काए जाते हैं।
निगाहों में उनके शोखी है मस्ती है,
क्या करें यारों उनके ,
इस अंदाज पर हमारी जान जाती है।
शिकार बनकर हमें तो देखो,
नजरों में कैद कर लाए।
कोई क्या जाने भला,
प्यार में कितने तीर हैं खाए।
उनकी यू धीरे से ,
इशारा कर बुलाने की अदा
शिकारी उन्हें बनाती है।
और हम हैं  बस देखिए,
शिकार हुए जाते हैं।
कोई रोको भला उनको,
यू तीर ना चलाएं।
नाजुक बड़े है हम
यूं हमें शिकार ना बनाएं।।
        रचनाकार ✍️
        मधु अरोरा
        17.3.२०२२

प्रतियोगिता के लिए

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6 Comments

Punam verma

18-Mar-2022 04:36 PM

Nice very nice

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Dr. Arpita Agrawal

18-Mar-2022 09:20 AM

बहुत सुंदर रचना मधु जी 👌👌

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Gunjan Kamal

18-Mar-2022 08:39 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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